Thursday 12 November 2015

MOTHER

दोस्तों आज में आपके लिए ऐसी पोस्ट लाया हूं जो मेरी ही तरह आपके दिल को भी छूयेगी .


जिंदगी के पांच सच

सच नं. 1 -:
                माँ के सिवा  कोई  सकता नहीं हो सकता .......!!!!!



सच नं. 2 :-
               गरीब का कोई  सकता !!!

सच  नं. 3 :-
               आज भी लोग अच्छी सोच को नहीं ,
               अच्छी सूरत को तरजीह देते है ……!!
 

सच नं.  4 :-
               इज्जत सिर्फ पैसे की है इंसान की नहीं …!!!


सच नं. 5 :-
              जिस शख्स  को अपना खास समझो वाही दुःख दर्द देता है ………!!!





पहली बार दोस्तों इस गजल को पढ़ कर आंसू  आ गये

शख्सियत ए लख्ते जिगर खला न सका .
जन्नत के धनि  "पैर" कभी शाला ना सका .
दूध पिलाया उसने छाती से निचोड़कर, मैं निकम्मा कभी एक गिलास पानी पिला ना सका .


बुढ़ापे का "सहारा" हूँ ये अहसास दिला न सका  पेट पर सुलाने वाली को "मखमल " पर सुला न सका .


वो भूखी सो गयी बहु के  डर से एकबार मांगकर मैं "सुकून के दो निवाले उसे खिला ना सका .
नजरे उस बूढ़ी "आँखों" से कभी मिला ना सका .

वो दर्द सहती रही में मैं खटिया पर तिलमिला न सका.
जो हर रोज ममता के रंग पहनाती रही मुझे,उसे दीवाली पर दो जोड़ कपडे सिला न सका .

बीमार बिस्तर से उसे 'शिफ़ा दिल ना सका .
खर्च के दर से उसे बड़े अस्पताल ले जा न सका .



 माँ के बेटा कहकर "दम " तोड़ने  बाद से अब तक सोच रहा हूँ ,दवाई इतनी "महंगी" न थी के मैं ला ना सका.




 







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