Tuesday 10 November 2015

lakshy

                        कोहरा और किनारा 

Vidhya Guru Charitable Institute

4 जुलाई 1952 को समुद्र बहुत ठंडा था।चारो और सफ़ेद कोहरा चाय हुआ था। इसी वजह से फ्लोरेंस चेडविक  को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। उसके पुरे शरीर में दर्द हो रहा था,क्योकि वह पिछले 16 घंटे से तैर रही थी। वह कैटलिन आइलैंड से कैलिफोर्निया के किनारे तक तैर कर जाना चाहती थी, लेकिन घने कोहरे की वजह से उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। उसके साथ एक नाव चल रही थी जिस पर उसकी माँ और प्रशिक्षक बैठे हुए थे। उन्होंने बताया कि अब  किनारा ज्यादा दूर नहीं है। थोड़ी देर बाद हम वहां पहुंच जायेंगे।वह लगातार तैर रही थी लेकिन किनारा फिर भी दिखाई नहीं दे रहा था। प्रशिक्षक ने बताया कि अब आधा मिल की दूरी शेष है।  वह थोड़ी देर तक तैरती रही लेकिन जल्दी ही उसने अपना इरादा बदल दिया और पानी से बाहर आ गयी। उसने बताया,"मैं यात्रा जरूर पूरा करती लेकिन मुझे किनारा दिखाई नहीं दे रहा था। " थकान,कोहरा और ठण्ड उसके रास्ते के बढ़ा नही थे,लेकिन लक्ष्य का नजरो से ओझल हो जाना ही इरादा बदलने की असली वह थी। 
      कुछ दिनों बाद एक बार फिर उसने अपने इस असफलता को चुनौती देने की ठानी। एक बार फिर वह समुद्र में तैर रही थी। ठंडा और कोहरा आज भी मौजूद थे पहली बार से कही ज्यादा,लेकिन इस बार उसके दिमाग में लक्ष्य की तस्वीर साफ थी। वह पुरे  हिम्मत के साथ लगातार तैरती रही। इस बार उसे किसी के प्रोत्साहन की जरूरत नहीं थी , क्योकि वह जानती थी की कोहरे की दीवार के उस पर ही किनारा है। .......... और फ्लोरेंस चैडविक कैटलिना चैनल पर करने वाली पहली महिला बन गयी।

दोस्तों इस कहानी से हमे यह सिख मिलती है कि "किसी भी मकसद के लिए की गयी मेहनत तभी कामयाब होती है,जब मकसद साफ दिखाई दे। "

                                                                        -    विद्या गुरु परिवार    

1 comment:

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