Wednesday 11 November 2015

चींटी की मानसिकता और जीवन से लें प्रेरणा


दोस्तों सर्वप्रथम मेरा आपको प्रणाम आशा करता हूं कि आप अच्छे नहीं बहुत अच्छे होंगे।दोस्तों हम सभी हमेशा बड़े और सफल लोगो से जीवन मैं बेहतर बनाने का गुर सीखते है। हम उनकी सफलता के रहष्य को जानने के लिए बेहद उत्सुक होते है। लेकिन यह भूल जाते है की कभी-कभी जीवन की सबसे बड़ी सीख हमारे आसा-पास मौजूद सबसे छोटे जीवों से भी मिल सकती है। उदहारण के लिए चींटी को ही लीजिएं। कुआ आप दोस्तों इस बात पर भरोषा कर सकते है की यह छोटे जीव  भी हमें बेहतर जीवन जीना सीखा सकते है? महान प्रेरक गुरु जिम रॉन ने 'ऐंट फिलोसोफी (चींटी दर्शन)' नाम का एक सिद्धांत दिया गया है। उन्होंने  चींटियों के व्यवहार से 4 मुख्य सबक सीखें जो हमारे जीवन  को बेहतर बना सकते  थे। जिम रॉन अब नहीं रहे लेकिन उनके सन्देश आज भी प्रेरणा के स्रोत्त बने हुए हैं। नीचे मैं आपको दोस्तों  जिम  रॉन की 'ऐंट फिलॉसफी ' के वह 4  सबक दे रहे हैं -

1. चींटियाँ कभी हार नहीं मानती-क्या आपने कभी चींटियाँ को बढ़ाओ के बीच रास्ता तलाशते हुए देखा हैं? चींटियों की रह मैं दोस्तों अपनी एक उंगली  डाल  कर देखिये।वे उसे पार करने की पूरी कोशिश करेगी,अंगुली के चारो तरफ घूमेगी या उस पर से चढ़ कर निकल जाएगी। जब तक वह बढ़ा से पार न पा लें वह उससे बाहर निकलने की लगातार कोशिश करती रहेगी। वहां चुपचाप खड़ी नहीं रहेगी। न तो हार मान कर प्रयास करना छोड़ देंगी। मित्रो हम सभी को भी ऐसे ही बनना चाहिए। हमारे जीवन में  भी बाधाएं आती रहती हैं। असली चुनौती सतत प्रयास,वैकल्पिक रास्तो के जरिये लक्ष्य तक पहुचने की होती है। विंस्टन चर्चिल ने अपनी बहुमूल्य सलाह-'कभी हार ना मानें,कभी हार न मानें और कभी हार ना मानें 'देते समय शायद चीटियों को ध्यान में  रखा  होगा। 

2.गर्मियों मैं सर्दी की फ़िक्र -क्या आपको चींटी और टिड्डे की वह पुरानी कहानी याद है जिसमें गर्मियों के दौरान आने वाली सर्दियों के लिए चींटी भोजन इकट्टा करने में जुट जाती थी जबकि टिड्डा मौसम का लुफ्त ले रहा था? चींटी को पता था की अच्छा वक्त कभी नहीं रहता। गर्मियों के बाद सर्दी आएगी। याद रखने के लिए यह अच्छा सबक है। अच्छे वक्त में यह सोचकर कभी भी अभिमानी ना बने कि आपके साथ कभी भी बुरा हो ही नहीं सकता। दुसरो के साथ अच्छा बर्ताव कीजिए।बुरे वक्त के लिए बचत करें।दूरदृष्टा बनें और याद रखे अच्छा वक्त बीतते समय वक्त नहीं लगता लेकिन अच्छे लोग समय के उतार -चढ़ाव से उबार जाते है। 


3. सर्दियों में गर्मियों का अहसास- कंपकपाती ठण्ड से जूझने  के दौरान चींटियाँ खुद को हमेशा यह याद दिलाती है कि दिन जल्द ही बीत जायेगें और गर्मी का मौसम आ जायेगा। गर्मी की पहली धूप में चींटियाँ अपने घरो से बहार निकल आती हैं-काम करने और खेलने के लिए। जब दोस्तों हम बुरे दौर से गुजर रहे होते है तो हमें लगता है यह दौर तो कभी ख़त्म ही नहीं होगा। उस पल हमें खुद को यह याद दिलाना चाहिए कि वक्त हमेशा एक सा नहीं रहता। इसलिए यह बुरा वक्त भी गुजर जायेगा और अच्छा वक्त फिर से आएगा। सकारात्मक रवैया बनाये रखना बेहद जरुरी हैं। 


4. चींटियाँ हर संभव प्रयाश करती है -गर्मियों में एक चींटी कितना खाना इकट्टा करे ? क्या उसका प्रयास काफी होगा ! यहाँ दोस्तों एक मत्वपूर्ण सबक सीखने को मिलता है अपनी चंता के अनुसार काम करें। एक चींटी इस बात की परवाह नहीं करती की दूसरी चींटी  कितना भोजन इकट्टा करती है। वह कभी बैठ कर वक्त बर्बाद नहीं करती,न ही यह सोचती है कि वह अकेले ही हाड़तोड़ मेहनत क्यों करें? वह कभी काम वेतन की शिकायत भी नहीं करती। सिर्फ अपनी क्षमता के मुताबित ही है और जितना संभव हो पाटा है उतना बहुजन इकट्टा करने  में जुट जाती है। अपनी क्षमता के शत-प्रतिशत इस्तेमाल के बाद ही सफलता और खुशियां मिलती है। इसलियें क्षमता का पूरा इस्तेमाल करें। अगर दोस्तों आप अपने आस-पास देखेंगे हो पायेगे की वाही लोग सफल हुए है। जिन्होंने आणि क्षमता का सर्वप्रथम प्रदर्शित किया है। 

             जिम रॉन की  'ऐंट  फिलॉसफी  ' की  बातो का अनुशरण कीजियें-आप बदलाव जरूर महसूस करेंगे। हार मत मानियें,हमेशा आगे बढियें,सकारात्मक रहिएं और मित्रो अपनी क्षमता का भरपूर इस्तेमाल कीजियें। 

             दोस्तों चींटियों से एक और अहम सबक सीखा जा सकता है। औसतन चींटियाँ अपने वजन से २० गुना ज्यादा बोझ उठा सकती है और शायद हम भी ऐसा कर सकते है।हम अपनी कल्पना से भी ज्यादा जिम्मेदारियों का बोझ उठा सकते है और इसका बेहतर प्रबंध कर सकते है। अगली बार जब कोई बात आपको परेशान करे या आपको हतोत्साहित करे तो झल्लायें मत। उस छोटी सी चींटी के बारे मैं सोचिये और याद रखियें आप अपने कंधो पर कही ज्यादा जिम्मेदारी उठा सकते है। 

सफलता के लिए आवश्यक गुण है-हार न माने ,अच्छी योजनाएं  बनाएं,और उस पर अमल करें।  

अंत में एक शायरी के साथ में शब्दों को विराम देता हूँ-
          कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं,
          जीता वाही जो डरा नहीं। 
        दोस्तों आपका हमारी यह पोस्ट कैसी लगी जरूर बताये और किसी भी प्रकार के विषय के बारे में जानने के लिए हमे जरूर लिखे ,हम उस विषय पर नई नई जानकारी आप तक पहुचने का प्रयास करेंगे। 
      

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